कर्म पथ पर इस प्रखरतर, फूल भी हैं शूल भी हैं | अल्पजन अनुकूल हैं पर सैकड़ों प्रतिकूल भी हैं || संकटों के शैल सत-सत, मोह-भ्रम के मूल भी हैं | किन्तु सुख दुःख में सदा ही एक सी अभिव्यंजना ले | चल रहे हैं हम निरंतर, चिर विजय की कामना ले ||
SEWA BHARTI SAMITI RAJASTHAN
सेवा परमो धर्मः